नेल्सन मंडेला दिवस पर भाषण – Nelson Mandela day speech in Hindi And English

International Nelson Mandela day speech: with PDF : इस लेख में नेल्सन मंडेला दिवस पर भाषण script हिंदी और english में मिलेगा. नेल्सन मंडेला के प्रेरणादायी जीवन के चित्रों को सकलित करके best Nelson Mandela day speech तैयार किया है. आप इसे नेल्सन मंडेला दिवस पर निबंध के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते है. ये नेल्सन मंडेला दिवस पर भाषण school – colleges के student के लिए है. कक्षा 5, 6, 7, 8, 9. 10, 11, 12 के छात्र भी Nelson Mandela day speech तैयार कर सकते है. इसे आप short Essay of Nelson Mandela या फिर short 10 Line Speech के रूप में भी प्राप्त कर सकते है.

जीवन की यातनाये, संघर्ष और अथाग परिश्रम में बलबूते पर राष्ट्रपति के स्थान तक पहुचने वाले नेल्सन मंडेला के जीवन की कई प्रेरणादायक बाते आपको बता रहे है. इस लेख में Nelson Mandela day speech को HindiHelpGuru.com ने तैयार करके दिया है. ये हिंदी और english में है. लेकिन आपको gujarati, marathi, Tamil, Punjabi या ओर कोई language में चाहिए तो हमें जरुर बताये.

Nelson Mandela day speech in Hindi

सूचना :

  • अपने भाषण के पूर्व कार्यक्रम में आमंत्रित मेहमान और श्रोताओं का अभिवादन जरुर करे.
  • यहाँ दिया गया भाषण में से आपके समय के अनुसार जरुरी script तैयार करे.
  • अगर आपको short में, कम समय में वक्तव्य पूरा करना है तो कुछ हिस्से को निकाल दे.
  • यहाँ 2 से 3 काव्य पंक्तियाँ दी है इसे ध्यान से पढ़ के याद कर ले.
Nelson Mandela day speech in Hindi And English bhashan hindi me

नेल्सन मंडेला दिवस पर भाषण

वाह! वह भी क्या इंसान हुआ!
नहीं स्वीकार था उसे अपने अंदर के इंसान को समर्पण करने देना घोर अमानवीय कृत्य के भी आगे।

किसने उससे क्या लिया क्या छिना इससे कोई फर्क नहीं पड़ा, वो या उसका व्यक्तित्व न इससे कभी छोटा पड़ा

सभी को नमस्कार और अभिवादन, आज मै एक ऐसी शख़्सियत के बारे में, उसके जीवन-संघर्ष के बारे में बताने जा रहा हूं जिसने गांधी से बहुत कुछ सीखा ही नहीं कर के दिखाया भी। आज के स्वार्थी और दिखावटी युग में जहां अकादमिक ‘वर्क शाॅप’ देश भर में हजारों प्रति वर्ष की संख्या में हो रहे हैं; सचमुच कुछ करने की नियत कितने लोग पा पाते हैं…थोड़ा ठहरकर सोचना होगा। खैर! आज अपने पिता से सुनों Nelson Mandela के बारे में जिस अपराजेय आत्मा को दक्षिण अफ्रीका का गांधी कहा जाता है।

अब्राहम लिंकन और मार्टिन लूथर किंग के विचारों को मानने वाले, दक्षिण अफ्रिका के गाँधी Nelson Mandela  का जन्म बासा नदी के किनारे ट्रांस्की के मवेंजो गाँव में 18 जुलाई, 1918 को हुआ था। माता का नाम नोमजामो विनी मेडीकिजाला था, वे एक मैथडिस्ट थीं। पिता का नाम गेडला हेनरी था। वे गाँव के प्रधान थे। उन्होने बालक का नाम रोहिल्हाला रखा, जिसका अर्थ होता है पेङ की डालियां तोङने वाला या प्यारा शैतान बच्चा। बारह वर्ष की अल्प आयु में उनके सर से पिता का साया उठ गया था।

नेल्सन मंडेला की प्रारंभिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में एवं स्नातक शिक्षा हेल्डटाउन में हुई थी। ‘हेल्डटाउन’ अश्वेतों के लिए बनाया गया विशेष कॉलेज था। इसी कॉलेज में मंडेला की मुलाकात ‘ऑलिवर टाम्बो’ से हुई, जो जीवन भर उनके दोस्त एवं सहयोगी रहे। 1940 तक नेल्सन मंडेला और ऑलिवर ने कॉलेज कैंपस में अपने राजनैतिक विचारों और क्रियाकलापों से लोकप्रियता अर्जित कर ली थी। कॉलेज प्रशासन को जब इसकी खबर लगी तो दोनो को कॉलेज से निकाल दिया गया।

मंडेला की क्रांति की राह से परिवार बहुत चिंतित रहता था। परिवार ने उनका विवाह करा कर उन्हे जिम्मेदारियों में बाँधने का प्रयास किया परन्तु नेल्सन निजी जीवन को दरकिनार करते हुए घर से भागकर जोहान्सबर्ग चले गये। वहाँ उन्होने सोने की खदान में चौकीदार की नौकरी की एवं वहीं अलेंक्जेंडरा नामक बस्ती में रहने लगे ।  इसके बाद उन्होने एक कानूनी फर्म में लिपिक की नौकरी की। जोहान्सबर्ग में ही उलकी मुलाकात ‘वाटर सिसलु’ और ‘वाटर एल्बरटाइन’ से हुई। नेल्सन के राजनीतिक जीवन पर इन दो मित्रों का अत्यधिक प्रभाव पङा। उन सभी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर ‘अफ्रिकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग’ का गठन किया। 1947 में मंडेला इस संगठन के सचिव चुन लिये गए। इसके साथ ही उन्हे ट्रांन्सवाल एएनसी का अधिकारी भी नियुक्त किया गया।

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 एक कैदी से देश के राष्ट्रपति बनने तक का Nelson Mandela का जो असाधारण सफ़र रहा, वह उनके व्यक्तित्व की यह पहचान है की वो एक साधारण नहीं बल्कि असाधारण व्यक्तित्व के स्वामी थे , एक अलग रूप के मानव थे. अश्वेतों के साथ हो रहे ज़ुल्म ,प्रताड़ना और नस्ली भेद भाव के खिलाफ लड़ाई लड़ने की सजा के तौर पर उन्हें उम्र कैद दिया गया था मगर उनकी इस भावना , लोकप्रियता और उनके आन्दोलन की सफलता को देखते हुए ज़ुल्म करने वाले दुनिया के विकसित और ताकतवर देशों ने यह महसूस किया और उन्हें यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा की नहीं ये विरोध हम कालांतर में बरदाश्त नहीं कर सकेंगें , लोगों का गुस्सा और प्रतिशोध हम लोगों के ऊपर फूटता जाएगा और हमलोगों के कार्यों का प्रतिकार होता जाएगा और अंततः  हुआ भी वही. मंडेला की लोकप्रियता और लोगों का उनके प्रति स्नेह को देखते हुए शोषकों को उनके आगे झुकना पड़ा और एक कैदी ! को देश की सर्वाेच्च सत्ता को सौंपना पड़ा . 

  जिन कारणों से मंडेला ने श्वेतों से लड़ा उसे देखते हुए Nelson Mandela को अगर एक अश्वेत गाँधी की संज्ञा दी जाए तो शायद यह कोई  अतिश्योक्ति नहीं होगी.मंडेला को प्रेरणा भी बापू से ही मिली थी. इसका जि़क्र उन्होंने टाइम पत्रिका को दिए गए साछात्कार में स्वयं किया था. मंडेला को भारत से गहरा जुड़ाव था. भारत के साथ नेल्सन मंडेला का गहरा रिश्ता होने की पृष्ठभूमि बहुत पहले ही तैयार हो चुकी थी जब महात्मा गाँधी ने दछिण अफ्रीका में २१ वर्ष बिताए थे. गाँधी के अश्वेतों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई का प्रभाव कहीं न कहीं मंडेला के मन मस्तिष्क पर अवश्य पड़ा था तभी तो मंडेला ने अपने भारत यात्रा के दौरान कहा था की “भारत आना तो घर आना जैसा है. यह तो महान नेताओं की पवित्र भूमि है और यहाँ तक पहुंचना तीर्थयात्रा है ”.

जेल से रिहा होने के बाद वो कई बार भारत आए थे. भारत सरकार सहित यहाँ के लोगों ने भी उन्हें हाथो हाथ लिया था और उन्हें भारत के लोगों ने भी पूरा नैतिक समर्थन दिया था. उन्हें भारत का सर्वाेच्च नागरिक पुरस्कार “भारत रत्न” से भी नवाज़ा गया था. १९९९ में मंडेला को अहिंसा के वैश्विक आन्दोलन के लिए गांधी किंग एडवर्ड पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था. मंडेला को पूरी दुनिया से करीब २५० से भी अधिक एवार्डों से नवाज़ा गया था. वैश्विक स्तर पर उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें फ्रेडरिक डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से १९९३ में शान्ति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था.  

Nelson Mandela की खासियत यह है कि बर्बरता और अन्याय के दिल दहला देने वाले हालातों से गुजरने के बावजूद, उनके अंदर न तो कड़वाहट आई और न ही घृणा। वे खुशी के साथ मुस्कराते हुए अपनी जिंदगी जिए, नफरत और नाराजगी के साथ नहीं।

आज भले ही मंडेला इस नश्वर संसार में नही हैं, लेकिन उनके त्याग और संघर्ष की महागाथा पूरी दुनिया को प्रेरणा देने के लिए जीवित है। Nelson Mandela ने एक ऐसे लेकतांत्रिक और स्वतंत्र समाज की कल्पना की जहाँ सभी लोग शांती से मिलजुल कर रहें और सबको समान अवसर प्राप्त हो। उनका कहना था कि , “जब कोई व्यक्ति अपने देश और लोगों की सेवा को अपने कर्तव्य की तरह निभाता है तो उन्हे शांती मिलती है। मुझे लगता है कि मैने वो कोशिश की है और इसलिए मैं शांती से अंतकाल तक सो सकता हूँ। आज हम ऐसे महान नेता को शत-शत नमन करते हैं।

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 मंडेला समझौतापरस्त या अवसरवादी राजनीतिज्ञ नहीं थे जो आज के राजनीति की सहजप्रवृत्ति बन चुकी है। वह प्रतिरोध के स्वर को मृत्युपर्यंत जीने और उसे अभिव्यक्ति के स्तर पर जलाये रखने वाले दूरद्रष्टा थें। उनकी आत्मा (सामाजिक चेतना) प्रतिरोध की जो अभिव्यक्ति करती है उसका भाषा में अर्थ और अभिलक्ष्य दोनों सूक्ष्म एवं विशिष्ट हैं। नेल्सन मंडेला में आत्म-सम्मान और संकल्पनिष्ठता का ओज-उद्वेग भरपूर था। वे प्रतिकामी शक्तियों के जोड़-गठजोड़, शोषण-अन्याय, हिंसा-अपराध इत्यादि की मुख़ालफत में आजीवन संघर्षशील और विचार के स्तर पर प्रगतिशील बने रहे। ऐसे महान जननायक मंडेला को विनम्र श्रद्धाजंलि जिन्होंने अफ्रीकी जनता को जीने की आजादी मुहैया कराई; समानाधिकार की लड़ाई को सफल एवं प्राप्य बनाया और जो जनता की दृष्टि में महात्मा गाँधी के समानधर्मा व्यक्तित्व बने।

अंग्रेजी कवि विलियम अर्नेस्ट हेनली की उस कविता की चंद पंक्तियाँ नेल्सन मंडेला की याद में यहाँ सादर समर्पित हैं जिन्हें वे सदा गुनगुनाते थे:

‘‘शुक्रगुजार हूं उस जो भी ईश्वर का
 अपनी अपराजेय आत्मा के लिए
 परिस्थियों के शिकंजे में फंसे होने के
बाद भी मेरे चेहरे पर न शिकन है
और न कोई जोर से कराह
वक़्त के अंधाधुंध प्रहारों से
मेरा सर खून से सना तो है, पर झुका नहीं।’’

 दुनियां में जिस वर्ग, नस्ल, स्थान में भी यदि वर्गभेद,शोषण, प्रताड़ना हो वहाँ मानव के प्रति संवेदनशील लोगों को मंडेला जैसे लोगों को आदर्श मानकर इन सब कुरीतियों का विरोध करना चाहिए, और ऊँच नीच , ज़ुल्म ओ सितम, रंगभेद की बेडि़यों को काटने में अपना भरपूर योगदान देना चाहिए, और उसके लिए शांतिपूर्ण ढंग से लड़ाई लड़ते रहना चाहिए. यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

आशा है उसका जीवन
अपनी प्रेरणा से पैदा कर सकेगा
उस जैसे ही अनेक महापुरुष
जिसकी जरूरत है
भविष्य को।

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Nelson Mandela day speech in English

  • सूचना : english स्पीच में किसी जगह Grammar की गलती दिखाई दे तो हमें बताये.

Today is the birthday of South African leader Nelson Mandela. Mandela was called lovingly called Madiba in childhood and is also called the father of modern South Africa. Mandela’s full name is Nelson Rohilha Mandela. This name was given to his father by Rohilhala meaning that the tree of the tree breaks or the loveless Satan child Nelson’s father, Gedla was the head of Henry’s village. Nelson’s family belonged to the royal family. Nelson’s mother was a Methodist Christian.

Nelson made his initial study from the Clark Berry Missionary School. In student life, he had to face apartheid policy. In school he was reminded that his color was black. If they casts, they may have to go to jail. Due to this apartheid policy, a revolutionary was born.

During the study at Fort Hair University, he was fired from university due to his involvement in the student movement campaign against university policies.

Mandela came to the field of politics after winning the national party’s 1948 election in support of Apartheid policy in the country. Mandela led the ANC disobedience movement in the year 1952.

Mandela, under the footsteps of Mahatma Gandhi, created a new consciousness among the black people of the country, while leading the campaign of attack on slavery sites and government buildings. He was arrested on 5 August 1962 for spreading violence in the country and several other serious charges. They were sued and sentenced to life imprisonment on 12 June 1964. Mandela was placed in a prison built on Robben Island

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Regardless of the conviction of lifetime imprisonment, the passion of the movement against Mandela’s apartheid policy has not diminished. He started mobilizing black people in jail. Due to his attempts, the prison was called ‘Mandela University’.

In February 1985, then President P. W. Botha offered to release Mandela at the expense of abandoning the movement which he rejected. On international pressure to free Mandela on the South African government, Mandela was released on 11 February 1990. He was awarded the Nobel Peace Prize in 1993. On April 27, 1994, after the strong victory of the ANC in the election for the first time in the country, which was held by white and black people, Mandela achieved the achievement of becoming South Africa’s first black president on May 10, 1994.

Nelson Mandela, who has destroyed the apartheid policy in South Africa, has a significant place in his country. They almost gave a rightless bloodless revolution to the African people, and during this change there was no violence because they used to believe in resolving the problems through dialogue. He White President F. After assuming power from W.D. Clark and after becoming the President of the country, he handed it over to his fellow Thabo Mbeki. Nelson Mandela died on December 6 2013 at the age of 95 after the disease.

                  The life of Nelson Mandela will remind us all that we always have to stay away from hatred and displeasure. You should stand alone for true freedom. Independence does not get through political or economic methods, freedom comes when there is no ill-health or any evil in you even after provoking someone.        

Today even though Mandela is not in this mortal world, but the greatness of his sacrifice and struggle is alive to inspire the whole world. Nelson Mandela imagined such an independent and independent society where everybody is united with peace and everyone gets equal opportunities. He said, “When a person plays the service of his country and people as his duty, he gets peace. I think that I have tried that and so I can sleep till the end of peace. “
We bow down to this great leader

हमारा प्रयास रहता है की आपको सबसे बेस्ट content दिया जाये. आशा करते है की आज भी Nelson Mandela day speech in Hindi And English का लेख भाषण आपको पसंद आया होगा.

धन्यवाद… !!!

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