पृथ्वी दिवस पर भाषण | निबंध – Earth Day Speech – Essay Hindi

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विश्व पृथ्वी दिवस ( World Earth Day ) प्रतिवर्ष 22 April को आयोजित किया जाता है. पृथ्वी गृह सिर्फ हमारा निवासस्थान ही नहीं भारतीय संस्कृति में इसे माँ का दराज्जा दिया गया है. अमानवीय कृत्यों की वजह से हमारी पृथ्वी को बचाना जरुरी हो जाता है. आज हम आपको इस लेख में पृथ्वी दिवस पर भाषण के लिए एक script hindi में दे रहे है. किसी कार्यक्रम में आप इसका इस्तेमाल कर सकते है. Earth Day Speech in hindi के साथ साथ आपको पृथ्वी दिवस पर निबंध भी यहाँ से मिल जायेगा. इस Essay को आप किसी प्रतियोगिता एवं भाषण के रूप में प्रस्तुत कर पाएंगे.

पृथ्वी दिवस का इतिहास

भारत में पृथ्वी दिवस कब क्यों मनाया जाता है?

Earth Day Image Save Earth

आज पृथ्वी दिवस है, हमारे ग्रह का एक अविश्वसनीय उत्सव है. दिन भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसे बचाने में मदद करने के लिए कार्रवाई का आह्वान करने का दिन है। Wisconsin के Senator Gaylord Nelson ने 1970 में पृथ्वी दिवस की शुरुआत की थी। पृथ्वी दिवस की शुरुआत का श्रेय अमेरिकी सीनेटर गेलार्ड नेल्सन को जाता है। अमेरिका में 1970 के दशक में जहां एक तरफ वियतनाम युद्ध को लेकर विद्यार्थियों का आंदोलन जोर पकड़ रहा था। वहीं दूसरी ओर एक तबके में पर्यावरण संरक्षण को लेकर चेतना जाग रही थी। 21 मार्च, 1971 को संयुक्त राष्ट्र महासचिव यू थैंट ने पृथ्वी दिवस को अंतरराष्ट्रीय समारोह घोषित कर दिया। वर्ष 1990 में पहली बार आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया गया। विश्व पृथ्वी दिवस यानि अस्तित्व की रक्षा और उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने और उसे मनाने का महापर्व है। हमें समझना होगा कि जो कुछ भी हमें जन्म से प्रकृति प्रदत्त निशुल्क मिला है वह बहुत अनमोल है और जिसका ऋण उतारें बिना जीवन की आशा करना बेमानी होगा।

क्या आपको पता है इस पृथ्वी दिवस को मनाने का तात्पर्य क्या है ? महत्व क्या है ? वैसे आजकल हर दिन का फैशन है, पर पृथ्वी दिवस की महत्ता इसलिए बढ़ जाती है कि यह पृथ्वी और पर्यावरण के बारे में लोगों को जागरूक करता है. यदि पृथ्वी ही नहीं रहेगी तो फिर जीवन का अस्तित्व ही नहीं रहेगा. हम कितना भी विकास कर लें, पर पर्यावरण की सुरक्षा को ललकार किया गया कोई भी कार्य समूची मानवता को खतरे में डाल सकता है. 

हमने जबसे याद सम्भालीं है तब से यही सुनते चले आ रहे हैं कि पृथ्वी हमारी माता है और सुबह जागते ही पृथ्वी पर पांव रखने से पहले पृथ्वी माता के पांव छूओ। यह हैं हमारे भारतीय संस्कृति और संस्कार पर कहते हैं न पूर्वजों की कहीं बातें सिर्फ हमने सुनी और लिखीं पर अफसोस! अमल में न ला सके। आज हमारी महत्वाकांक्षायें अंतरिक्ष के साथ-साथ पृथ्वी माँ का भी कलेजा चीरती हुई दिखाई पड़ती है कि आज जंगल न के बराबर बचे हैं।

एक समय था हर भारतीय चंदन लगाता था पर आज चंदन की लकड़ी के दर्शन दुर्लभ हैं। जरा सोचो! कि जब वन नही रहे तो शुद्ध वायु नही रही और भूक्षरण बढ़ा, वर्षा की अनियमितता दिखी और रही बची कसर हमारे लालच के परिणामस्वरूप इन प्रदूषणों ने पूरी कर दी।

सबसे बड़ी बीमारी की वजह जल प्रदूषण है जो हमारे तन मन को मौत के मुंह में हर पल खीचें जा रहा है। आज भी भारत के कुछ गांव जहाँ पानी में फ्लोराइड व आर्सेनिक की अधिकता के कारण वहां के 70%बच्चे विकलांग पैदा होते हैं। एक अध्ययनानुसार जल प्रदूषण व जल की कमी को पांच वर्ष तक की उम्र के बच्चों के लिए ’नंबर वन किलर’ करार दिया है। आंकड़े बताते हैं कि पांच वर्ष से कम उम्र तक के बच्चों की 3.1 प्रतिशत मौत और 3.7 प्रतिशत विकलांगता का कारण प्रदूषित पानी ही है।

किंतु इसका उपाय, आरओ, फिल्टर या बोतलबंद पानी या बाजार नहीं हो सकता। हमें पेड़ लगाने होगें। पर्यावरण – प्रकृति की रक्षा करनी होगी. प्रदुषण पर नियंत्रण करना होगा. हमारे कुदरती संशाधनो का मर्यादित और विवेकपूर्ण इस्तेमाल करना होगा. जनसँख्या नियंत्रण के कदम भी उठाने पड़ेंगे. ग्लोबल वोर्मींग के साथ साथ मिलकर लड़ाई लड़नी होगी. आज देखने में आता है कि हम स्वार्थी इंसानों द्वारा फेंकी गयी पॉलीथिन जिन्हें आवारा जानवर और गायें खा लेती है वह भी दस – दस किलो के एवज में और बेमौत मारीं जातीं हैं। आज दिल्ली जैसे बड़े शहरों में हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि कारण वहां बच्चों को मास्क लगाकर स्कूल जाना पड़ता है।और हालत यह है कि हर दूसरे व्यक्ति को श्वांस की घातक बीमारियों ने घेरा हुआ है।

हम कहां जा रहे हैं क्या यही है आधुनीकरण? और फिर जब प्रदूषण बढ़े तो गम्भीर और लाइलाज महाभयंकर बीमारियों ने हम इंसानों सहित पूरे जीव और पादप जगत को अपनी कभी न बुझने वाले प्यासे खूनी पंजों में जकड़ लिया जिसका परिणाम यह हुआ कि तनाव बढ़ा, उम्र कम हुई और मृत्युदर बढ़ गयी। और इसीलिए हम अवसरवादी इंसानों ने पृथ्वी माता को दिये अनेकों घाव और आघातों की माफी मांगने और इन्हीं गल्तियों को सुधारनेे हेतु पृथ्वी दिवस जैसे दिनों को सामूहिक  व सार्वजनिक रूप से विश्व स्तर पर मनाये जाने की घोषणाएं की।

पृथ्वी दिवस चिंतन-मनन का दिन

विश्व पृथ्वी दिवस महज़ एक मनाने का दिन नहीं है। इस बात के चिंतन-मनन का दिन है कि हम कैसे अपनी वसुंधरा को बचा सकते हैं। धरती को बचाने में ऐसे कई तरीक़े हैं जिसे हम अकेले और सामूहिक रूप से अपनाकर योगदान दे सकते हैं। हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए, लेकिन अपनी व्यस्तता में व्यस्त इंसान यदि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन ही थो़ड़ा बहुत योगदान दे तो धरती के ऋण को उतारा जा सकता है। हम सभी जो कि इस स्वच्छ श्यामला धरा के रहवासी हैं उनका यह दायित्व है कि दुनिया में क़दम रखने से लेकर आखिरी साँस तक हम पर प्यार लुटाने वाली इस धरा को बचाए रखने के लिए जो भी कर सकें करें, क्योंकि यह वही धरती है जो हमारे बाद भी हमारी निशानियों को अपने सीने से लगाकर रखेगी। लेकिन यह तभी संभव होगा जब वह हरी-भरी तथा प्रदूषण से मुक्त रहे और उसे यह उपहार आप ही दे सकते हैं।

आओ आज के दिन संकल्प और प्रतिज्ञा करे की पृथ्वी को बचाने के लिए मैं अपना यथासंभव योगदान करूँगा. प्रतिवर्ष एक नया पेड़ लगाऊंगा और इसकी रक्षा करूँगा. कुदरती संसाधनों का लघुत्तम इस्तेमाल करूँगा. प्रदुषण को रोकने में हर कदम आगे रहूँगा.

पृथ्वी दिवस पर कविता

पृथ्वी दिवस जमकर मनाइए, क्रान्ति का बिगुल फिर बजाइये 

साहित्यकारों सुलेखानी चलाइये, पर्यावरण -बचाइये |

चाहत की   जिन्दगी संवारिये, औ  औरत क इज्जत बचाइये

बच्ची – बेटी क सम्मान बढायें, भारतीय मर्यादाए बचायें |

शिक्षा में कमी को हटाइए, बच्चे मुजरिम न हों जाए समझाएं

टूटता परिवार हो बचाएं ,सभ्यता – सिस्टाचार निभायें |

पृथ्वी दिवस जमकर मनाइए, क्रान्ति का बिगुल फिर बजाइये 

नारी -इज्जत है धर्म बतायें,सम्हलो सबको समझाओ ||

विश्व पृथ्वी दिवस पर निबंध – बच्चो के लिए – Short Essay in World Earth Day

‘विश्व पृथ्वी दिवस’ प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है। यह एक वार्षिक आयोजन है, जिसे विश्व भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाताा है। विश्व पृथ्वी दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी और अब इसे 192 से अधिक देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है।

पृथ्वी हमारी धरोहर है, इसकी रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है। प्रकृति द्वारा कुछ चीजें उपहार के रूप में मिली हैं। प्रकृति ने हमें सूर्य, चाँद, हवा, जल, धरती, नदियां, पहाड़, हरे-भरे वन और धरती के नीचे छिपी हुई खनिज सम्पदा धरोहर के रूप में हमारी सहायता के लिए प्रदान किये हैं। मनुष्य अपनी मेहनत से धन कमा सकता है लेकिन प्रकृति की धरोहर को अथक प्रयास करने के पश्चात भी बढ़ा नहीं सकता। प्रकृति द्वारा दी गई ये सभी वस्तुएं सीमित हैं। 

विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण सुरक्षा के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाना है। यह दिन इस बात के चिंतन-मनन का दिन है कि हम कैसे अपनी वसुंधरा को बचा सकते हैं। इस दिन लोग धरती की सुरक्षा से संबंधित अनेक बाहरी गतिविधियों में शामिल होते हैं जैसे नये पेड़-पौधों को लगाना, पौधा रोपण, सड़क के किनारे का कचरा उठाना, गंदगियों का पुर्नचक्रण करना, ऊर्जा संरक्षण आदि। विभिन्न समाज सेवी संगठनों द्वारा इस दिन अनेक जन जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

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क्या आपने कभी सोचा है की पृथ्वी को क्या हुआ है और इसे बचाने की बाते क्यों हो रही है. हम जिस जमीं पर रहते है ये कुदरत का अभिन्न हिस्सा पृथ्वी ग्रह है. अमानवीय प्रवृत्ति और औधोगिकीकरण के चलते बीते कई वर्षो में वातावरण में बदलाव आया है. और ये बदलाव फायदेमंद नहीं बल्कि मानवजात के लिए नुकसान करता है. वैज्ञानिको ने पुष्टि की है की अगर ऐसे ही बढ़ता रहेगा पृथ्वी का प्रदुषण और तापमान तो आने वाली पीढ़ियों के लिए हम खुद खतरा मोड़ रहे है. पृथ्वी पर रहना मानवजात के लिए पडकार रूप होगा.

ग्लोबल वार्मिंग आज पूरी दुनिया के लिए एक भयावह चुनौती बन गई है। ग्लोबल वार्मिंग एवं इससे संबंधित विभिन्न समस्याओं जैसे प्रदूषित होता पर्यावरण, जीवों व वनस्पतियों की प्रजातियों का विलुप्त होना, उपजाऊ भूमि में होती कमी, खाद्यान्न संकट, तटवर्ती क्षेत्रों का क्षरण, ऊर्जा के स्रोतों का कम होना और नयी-नयी बीमारियों का फैलना आदि संकटों से पृथ्वी ग्रह पर विनाष के बादल मंडरा रहे हैं। 

आज मानव अधिकाधिक भौतिक सुविधाएं जुटाकर आरामदायक और वैभवशाली जिन्दगी बिताने की इच्छा रखता है। और इस राह में चलते हुए विकास और प्रगति की दौड़ में हर कोई आगे निकलना चाहता है जिससे प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करना आम बात हो गई है। आज शुद्ध जल, शुद्ध मिट्टी और शुद्ध वायु हमारे लिए अपरिचित हो गए हैं। आज विकास की राह सिर्फ इंसान के लिए राह बनाई जा रही है, इसमें प्रकृति कहीं नहीं है।

आज पृथ्वी के जीवनदायी स्वरूप को बनाए रखने की सर्वाधिक जिम्मेदारी मानव के कंधों पर ही है। ऐसे में मानव को ऐसे व्यक्ति या उसके विचारों का अनुसरण करने की आवश्यकता है, जिसनें प्रकृति को करीब से जाना-समझा हो और सदैव प्रकृति का सम्मान किया हो। दुनिया में प्रकृति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले लोगों में कुछ भारतीय नाम जैसे महात्मा गांधी, सुंदरलाल बहुगुणा, बाबा आम्टे, का नाम भी शामिल है। 

आज सभी को मानवीय मूल्यों और पर्यावरण में होते ह्रास के कारण पृथ्वी और यहां उपस्थित जीवन के खुशहाल भविष्य को लेकर चिंता होने लगी है। ऐसे समय में महात्मा गांधी के विचार हमारा विश्वास कायम रख सकते हैं। इस समय गांधीजी के “सादा जीवन उच्च विचार” वाली विचारधारा को अपनाने की आवश्यकता है। गांधीजी के विचारों का अनुकरण करने पर मानव प्रकृति के साथ प्रेममयी संबंध स्थापित करते हुए इस पृथ्वी ग्रह की सुंदरता को बरकरार रख सकता है।

10 lines on earth day in Hindi

World Earth Day – विश्व पृथ्वी दिवस को सबसे पहले 22 अप्रैल 1970 को पूरे अमेरिका में मनाया गया था। फिर तो स्वच्छ पर्यावरण के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए पूरे विष्व में प्रतिवर्ष पृथ्वी दिवस मनाया जाने लगा। अपनी मातृ स्वरूप पृथ्वी को जल परिवर्तन और प्रदुषण के खतरों से बचाने की जागरूकता के लिए विश्व में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. ये पृथ्वी दिवस सभी को पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने को प्रेरित कर रहा है। पृथ्वी दिवस के अवसर पर प्रत्येक व्यक्ति को प्राकृतिक संसाधनों का किफायत से उपयोग करना सीखना होगा तभी यह धरती हमारी आवश्यकताओं को पूरा करती हुई जीवन के विविध रूपों के साथ खिलखिलाती रहेगी। हम भी अपना छोटा योगदान दे है प्रति वर्ष एक नया पेड़ लगाने का संकल्प करे.

हमें पृथ्वी पर रह रहे है तो हर हाल में पृथ्वी की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी – कर्त्तव्य है. आओ हम सब साथ मिलकर पृथ्वी की रक्षा के लिए यथा शक्ति योगदान प्रदान करे.

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