गीता जयंती पर भाषण – Speech on Gita Jayanti in hindi

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इस लेख में आज हम आपको गीता जयंती पर भाषण की जानकारी दे रहे है. विश्व में हिन्दुओं का सबसे विश्वासपात्र और श्रध्धावान कोई पुस्तक है तो वो श्रीमद भगवद गीता है. गीता के 700 श्लोकों में जीवन की हर परिस्थिति का वर्णन रहस्यों के साथ छुपा हुआ है. गीता के विचारो का जितना दोहन किया जाए इतना कम है. आज हम गीता जयंती कब मनाई जाती है. इसका महत्त्व क्या है ? ये सभी जानकारी के साथ गीता जयंती स्पीच इन हिंदी में यहाँ दे रहे है.

Speech on Geeta Jayanti in hindi

हिंदी स्पीच गीता जयंती, hindi speech on gita jayanti

गीता जयंती 2019

विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय में किसी भी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती। हिंदू धर्म में भी सिर्फ गीता जयंती मनाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है क्योंकि अन्य ग्रंथ किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किए गए हैं जबकि गीता का जन्म स्वयं श्रीभगवान के श्रीमुख से हुआ है-

या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनि:सृता।।

गीता जयंती एक प्रमुख पर्व है हिंदु पौरांणिक ग्रथों में गीता का स्थान सर्वोपरि रहा है. गीता ग्रंथ का प्रादुर्भाव मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी को कुरुक्षेत्र में हुआ था. गीता जयंती, यह दिन श्रीमद् भगवद्गीता की प्रतीकात्मक जयंती के रूप में मनाया जाता है। महाभारत समय श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को ज्ञान का मार्ग दिखाते हुए गीता का आगमन होता है. इस ग्रंथ में छोटे-छोटे अठारह अध्यायों में संचित ज्ञान मनुष्यमात्र के लिए बहुमूल्य रहा है.

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अर्जुन को गीता का ज्ञान देकर कर्म का महत्व स्थापित किया इस प्रकार अनेक कार्यों को करते हुए एक महान युग परवर्तक के रूप में सभी का मार्ग दर्शन किया.मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती के साथ साथ मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को एकादशी के नाम के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के योग बनते हैं.

गीता अर्थात्‌ योगश्वर श्रीकृष्ण के मुखारविंद से स्रवित माधुर्य व सौंदर्य का वांगयीन स्वरूप! भगवान गोपालकृष्ण की प्रेम मुरली ने गोकुल में सभी को मुग्ध किया तो योगेश्वर कृष्ण की ज्ञान मुरली गीता ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर अर्जुन को युद्ध के लिए प्रवृत्त किया।

कर्म की अवधारणा को अभिव्यक्त करती गीता चिरकाल से आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितना तब रही. विचारों को तर्क दृष्टी के द्वारा बहुत ही सरल एवं प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया गया है संसार के गुढ़ ज्ञान तथा आत्मा के महत्व पर विस्तृत एवं विशद वर्णन प्राप्त होता है.

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गीता का महत्व सामान्य जीवन में किस प्रकार है

गीता में अर्जुन के मन में उठने वाले विभिन्न सवालों के रहस्यों को सुलझाते हुए श्री कृष्ण ने उन्हें सही एवं गलत मार्ग का निर्देश प्रदान करते हैं. संसार में मनुष्य कर्मों के बंधन से जुड़ा है और इस आधार पर उसे इन कर्मों के दो पथों में से किसी एक का चयन करना होता है. इसके साथ ही परमात्मा तत्त्व का विशद वर्णन करते हुए अर्जुन की शंकाओं का समाधान करते हैं व गीता का आधार बनते हैं.

भगवद्‍ गीता के पठन-पाठन श्रवण एवं मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं। गीता केवल लाल कपड़े में बाँधकर घर में रखने के लिए नहीं बल्कि उसे पढ़कर संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। गीता का चिंतन अज्ञानता के आचरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है। गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है।

गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है। हम सब हर काम में तुरंत नतीजा चाहते हैं लेकिन भगवान ने कहा है कि धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिलेगी।

मंगलमय जीवन का ग्रंथ है गीता। गीता केवल ग्रंथ नहीं, कलियुग के पापों का क्षय करने का अद्भुत और अनुपम माध्यम है। जिसके जीवन में गीता का ज्ञान नहीं वह पशु से भी बदतर होता है। भक्ति बाल्यकाल से शुरू होना चाहिए। अंतिम समय में तो भगवान का नाम लेना भी कठिन हो जाता है।

गीता आत्मा एवं परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है. कृष्ण के उपदेशों को प्राप्त कर अर्जुन उस परम ज्ञान की प्राप्ति करते हैं जो उनकी समस्त शंकाओं को दूर कर उन्हें कर्म की ओर प्रवृत करने में सहायक होती है. गीता के विचारों से मनुष्य को उचित बोध कि प्राप्ति होती है यह आत्मा तत्व का निर्धारण करता है उसकी प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है. आज के समय में इस ज्ञान की प्राप्ति से अनेक विकारों से मुक्त हुआ जा सकता है.

आज जब मनुष्य भोग विलास, भौतिक सुखों, काम वासनाओं में जकडा़ हुआ है और एक दूसरे का अनिष्ट करने में लगा है तब इस ज्ञान का प्रादुर्भाव उसे समस्त अंधकारों से मुक्त कर सकता है क्योंकी जब तक मानव इंद्रियों की दासता में है, भौतिक आकर्षणों से घिरा हुआ है, तथा भय, राग, द्वेष एवं क्रोध से मुक्त नहीं है तब तक उसे शांति एवं मुक्ति का मार्ग प्राप्त नहीं हो सकता.

नैनं छिदंति शस्त्राणी, नैनं दहति पावकः।

न चैनं क्लेदयंतेयापो न शोषयति मारुतः ।।  

सहित ऐसे अनेक श्लोक हैं जिन्हें पढ़ने और उनका अर्थ समझने से मनुष्य को जीवन के कष्टों से ना सिर्फ मुक्ति मिलती है, बल्कि वह जीवन के उस पथ को प्राप्त करता है जिसका ज्ञान स्वयं जगतज्ञानी परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया है।

गीता मंगलमय जीवन का ग्रंथ है। गीता मरना सिखाती है, जीवन को तो धन्य बनाती ही है। गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं यह एक अनुपम जीवन ग्रंथ है। जीवन उत्थान के लिए इसका स्वाध्याय हर व्यक्ति को करना चाहिए। गीता एक दिव्य ग्रंथ है। यह हमें पलायन से पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।

Geeta jayanti Short Speech in Hindi

गीता जयंती पर भाषण

विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय में किसी भी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती। हिंदू धर्म में भी सिर्फ गीता जयंती मनाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है क्योंकि अन्य ग्रंथ किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किए गए हैं जबकि गीता का जन्म स्वयं श्रीभगवान के श्रीमुख से हुआ है-

                         “या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनि:सृता।।”


ब्रह्मपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए यह तिथि “गीता जयंती” के नाम से भी प्रसिद्ध है। और इस एकादशी को “मोक्षदा एकादशी” कहते है. भगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर, विश्व के मानव मात्र को गीता के ज्ञान द्वारा जीवनाभिमुख बनाने का चिरन्तन प्रयास किया है।

गीता अर्थात्‌ योगश्वर श्रीकृष्ण के मुखारविंद से स्रवित माधुर्य व सौंदर्य का वांगयीन स्वरूप! भगवान गोपालकृष्ण की प्रेम मुरली ने गोकुल में सभी को मुग्ध किया तो योगेश्वर कृष्ण की ज्ञान मुरली गीता ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर अर्जुन को युद्ध के लिए प्रवृत्त किया।

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गीता का चिंतन अज्ञानता के आचरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है। गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है। मंगलमय जीवन का ग्रंथ है गीता। गीता केवल ग्रंथ नहीं, कलियुग के पापों का क्षय करने का अद्भुत और अनुपम माध्यम है। जिसके जीवन में गीता का ज्ञान नहीं वह पशु से भी बदतर होता है। भक्ति बाल्यकाल से शुरू होना चाहिए। अंतिम समय में तो भगवान का नाम लेना भी कठिन हो जाता है। 

गीता मंगलमय जीवन का ग्रंथ है। गीता मरना जीना दोनों सिखाती है, जीवन को तो धन्य बनाती ही है। गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं यह एक अनुपम जीवन ग्रंथ है। जीवन उत्थान के लिए इसका स्वाध्याय हर व्यक्ति को करना चाहिए। गीता एक दिव्य ग्रंथ है। यह हमें पलायन से पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।


लाल कपड़े में बंधकर हम अपने घर में तो गीता ले आते है आज यदि किसी से पूंछा जाये तो सभी यही कहेगे कि हमारे घर में तो गीता है पर क्या आपके जीवन में गीता है? ,गीता के रहस्यों को समझना आसान तो नहीं है, पर हम ये सोचकर समझना तो नहीं छोड सकते ना ?जैसे अथाह समुद्र है उसमे से कोई एक चुरू ले जाता है, कोई एक लोटा ले जाता है, तो कोई एक गागर ले जाता है, ले जाने वाले की समर्थ पर निर्भर करता है. ऐसे ही गीता है हम कितना पा सकते है हमारे ऊपर ही निर्भर करता है.


हमें स्वयं से प्रश्न करते रहना चाहिये कि हमारा जन्म क्यों हुआ है ?जीवन केवल रोने के लिए नहीं है, जीवन केवल खाने पीने मौज मस्ती के लिए नहीं है, भाग जाने के लिए नहीं है, हँसने के लिए है, खेलने के लिए हैं, संकटों से, हिम्मत से लड़ने के लिए है, जो ज्ञान हमें गीता के मध्यम से भगवान दे रहे है उस पर चलकर औरो को भी प्रोत्साहित करने के लिए है.

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धन्यवाद…!!!

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1 comment

  • Arjun Gade

    Thank you for such a wonderful essay.

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